Wednesday, April 1, 2009

फिर एक बार नमस्कार

फिर एक बार नमस्कार साथियों,
आज का दिन जरा ज्यादा ही व्यस्त रहा। आपमें से कुछ लोग जानतें होंगे रायपुर के पास ही धरसींवा विधानसभा क्षेत्र है। आज उसी इलाकें में जनसंपर्क में रहा मै। देर रात वापसी हुई। उस इलाके में जो सबसे ज्यादा समस्या आई वो थी भूमिगत जलस्तर गिरते जाने की और प्रदूषण की। किसान त्रस्त हैं।

दर-असल वह इलाका आजकल औद्योगिक नगरी में तब्दील होता जा रहा है यही कारण है कि वहां ये सब समस्याएं हैं। लेकिन यह देखकर खुशी हुई कि लोगों की उम्मीदें कांग्रेस पर ही टिकी हुई हैं। यह संभवत: राज्य की भाजपा सरकार की विफलता की निशानी ही है।

अरे हां!
मैं तो आप सभी का शुक्रिया अदा करना तो भूल ही जा रहा था।
आप सभी का शुक्रिया कि आप सभी ने मुझे ब्लॉगजगत पर अपना समझ कर इतनी आत्मीयता से स्वागत किया।


@संजीत जी, अलोकतांत्रिक होने का तो सवाल ही नहीं उठता भाई, जब हम लोकतांत्रिक पद्धति से चुने जाते हैं तो फिर अलोकतांत्रिक कैसा होना। आप जिनकी बात कर रहें है शायद उनकी बात ही अलग है।

@ Sachi ji, जाति लिखने पर आपत्ति न उठाएं भाई साहब, भारत में चुनाव आयोग भी जब नामांकन फार्म जमा करवाता है उसमे एक कॉलम होता है कि जाति क्या है। अब चूंकि जब चुनाव आयोग ही जाति पूछ रहा है तो बायोडाटा में उसका उल्लेख करना कहां गलत है?

@अजित वडनेरकर जी, शुक्रिया आपने स्वागत किया। आपके कथन से सहमत हूं। दर-असल हमने आपने, हम सबने राजनीतिज्ञों के बारे मे एक धारणा बना ली है कि हर जगह, जहां मौका पाए वहां भाषण ही देगा और कुछ नहीं। लेकिन सर, क्या आपने कभी यह देखा है कि कोई नेता या कार्यकर्ता अपने बंधु-बांधवों के बीच रहकर भाषण देता हो? मैं तो आप सबके बीच से ही एक आम आदमी हूं न। और रही बात कोसने की तो हम कभी भी , या कहूं कि मैं कभी भी पत्रकारों को नहीं कोस सकता क्योंकि पत्रकार हमारे बंधु ही होते हैं जो हमारी कमियों को उजागर कर हमें सुधार का मौका देते हैं। आप को बता दूं कि अनिल पुसदकर और मैं कॉलेज में एक साथ ही पढ़े हैं। फिर कैसे मै कोस सकता हूं पत्रकारों को।

@ज्ञान जी, अच्छा लगा जानकर कि आप दुर्ग से हैं। सुझाव के लिए धन्यवाद। आपका जो सवाल है उसके जवाब में फिलहाल इतना ही कहना चाहूंगा कि जब से रायपुर राजधानी बनी है तब से ही यहां ट्रैफिक व्यवस्था बहुत खराब हो गई है। जैसे ही सारा ताम-झाम नई राजधानी मे शिफ्ट होगा जैसे कि मंत्रालय, सभी निगम संचालनालय और अफसरों के दफ्तर बंगले आदि तो वैसे ही इस शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बहुत हद तक सुधर जाएगी। तो इसके लिए फिलहाल जरुरत है धैर्य की।

@शुक्रिया विवेक रस्तोगी जी।


@भाई अनिल, बहुत बहुत शुक्रिया, सुना तो था कि आप भी हो ब्लॉगजगत पर बस इसी आशा में हम भी चले आए कि कोई तो है यहां अपना।

@संजीव तिवारी जी, जोहार। बस गा संगवारी, कईसे नई आतेंव इहां जहां भाई अऊ सब्बो संगवारी मन पहली ले हावे। पतराखन मानत हव मोला एखर बर बहुत बहुत धन्यवाद आपके।

@घुघूति बासूति जी, बहुत बहुत शुक्रिया। सहमत हूं आपसे। जनता ही सबसी बड़ी अदालत है, मैं खुद यह मानता हूं। धीरे-धीरे समझ जाऊंगा इस ब्लॉगजगत को, स्नेह बनाएं रखें।

@दिनेशराय द्विवेदी जी, शुक्रिया। खुशी हुई यह जानकर कि आप छत्तीसगढ़ आ चुके हैं। किसी से मालूम जरूर हुआ था कि आप रायपुर में अनिल से भी मिलने आए थे। इंतजार रहेगा कि कब आप फिर छत्तीसगढ़ आएंगे।


साथियों आपसे इस तरह का वार्तालाप कर खुशी हुई। चूंकि सुबह फिर से उठकर जनसंपर्क के लिए जाना है तो फिलहाल विदा चाहूंगा ।

स्नेह और आशीर्वाद बनाएं रखें

फिर मिलेंगे

8 comments:

  1. भूपेश जी, मुस्कुराने को मन कर आया!
    मैंने वर्तमान के ट्रैफिक की बात की थी। आप तो दसियों साल आगे के भविष्य की बात करने लग गये और वह तो एक स्वभाविक प्रक्रिया होगी। आपका क्या योगदान रहा?

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  2. बधाई हो आपको ब्लॉग पर देखा तो लगा
    राजनीती के दिन फिरने वाले हैं
    बधाई नियमित लिखते रहिएँ

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  3. भूपेश जी आपका स्वागत है। जनता से सीधी बात करने के लिए आज यह सबसे आधुनिक माध्यम है। आज आपने अपने चुनावी दौरे के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में पानी की समस्या को लेकर चिंता जताई है। लेकिन यह आप भी जानते हैं कि पानी की यह समस्या आज या कल की उपज नहीं है। क्षणिक फायदे के लिए हम अपनी धरती को खोखला करते चले जा रहे हैं। विशेषज्ञ आशंकित हैं कि पानी का जो संकट अब पैदा होने वाला है वह कहीं तीसरे विश्व युद्ध का कारण न बनें। अतः अब समय आ गया है कि इस समस्या को गंभीरता से लें, अन्यथा इसके बेहद गंभीर परिणाम हमें भुगतने पड़ेंगे।
    सफलता के लिए शुभकामनाओं के साथ-

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  4. भूपेशजी, ब्लॉग जगत में स्वागत करने के साथ मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। रायपुर से चुनाव लड़ने का फैसला कर बेशक आपने दुस्साहस का काम किया है। मैंने विधानसभा की रिपोर्टिंग करते हुए सदन के अंदर आपके तेवर देखे हैं। बीते पांच साल आप दो मोर्चों पर लड़ते रहे हैं। सदन के अंदर सरकार के खिलाफ और बाहर अपनी पार्टी के कथित तौर पर बड़े नेताओं के खिलाफ।
    शायद आपको नहीं मालूम होगा कि जिन खदानों की लीज (भैंसाकन्हार)का मामला आप सदन में उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे, उसकी जाँच के आदेश केंद्र सरकार ने आज से चार महीने पहले दिए हैं। छत्तीसगढ़ के महालेखाकार को यह जिम्मेदारी दी गई है कि मंत्रालय में बैठकर वे भाजपा शासनकाल में खदानों के आवंटन की पूरी पड़ताल करें और रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजें। आप सभी पहले विधानसभा और अब लोकसभा चुनाव में व्यस्त हो गए। इस बीच महालेखाकार के लगातार प्रयासों के बावजूद उन्हें जाँ शुरू नहीं करने दी गई। यहां तक कि मंत्रालय में एक कक्ष भी नहीं दिया गया।
    खदान आवंटन के मामले में आपके पास जितने तथ्य हैं, विधानसभा चुनाव हारने के बाद अब उतनी दक्षता से शायद ही कोई मामला उठा पाए। कहने का मतलब यह है कि पांच सालों की आपकी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है।
    अब आपकी प्रतिष्ठा फिर दांव पर लगी है और सामने हैं आपके फिर वहीं दो परंपरागत विरोधी। देख लीजिए, पाटन का इतिहास रायपुर में न दुहाराया जाए।
    0राजेश दुबे

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  5. kya aap bata payenge ki congress ki seats 400 se 100 par aa gai hai isme congress par se logo ka uthta hua bharosa bada karan nahi hai???

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  6. ब्लोग जगत मे आप जैसे राज्नीतिक व्यक्तित्व के आग्मन से शहर गान्व के उन लोगो से भी सन्वाद कायम हो सक्ती है जो अन्य दुर दराज रह्ते है लेकिन जिन्हे अपने गान्व घर के विकास प्रगति के लिये प्रयास्रत है चिन्तित है या किसी अन्य काम्काज से लगे हुये है

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  7. ब्लॉग जगत मे आप को देखकर बहुत खुशी हुई, आधुनिक युग के इन साधनों का प्रयोग निःसंदेह समय की आवश्यकता है, सफल लेखन के लिए बधाई....देवलाल ठाकुर, जिला शहर युवा कांग्रेस दुर्ग

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  8. ब्लोग जगत मे आप जैसे राज्नीतिक व्यक्तित्व का आना बहुत बढ़िया कदम है , आम पड़े लिखे आदमी से जुड़ने का बहुत बढ़िया तरीका है .. स्वागत है आप का

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